माई सावित्री के जैसा कोई
बना है ना बन पायेगा
शिक्षा की उज्वल किरणो को
सीचा है उनका डंका लहरायेगा
जप तक धरती अंबर नीला
विश्वधरा पर जब तक होगा सवेरा
हर नारी के उन्नत दिशा मे
माता सावित्री ही रहेगा किनारा
माई की हर डगर पे छाई
थी किरणे अंधेरी राहो के
दिया उजाला स्त्री जीवन में
शिक्षा को दिया सन्मार्ग से
महात्मा ज्योति की छाया
साथ दिया उनके हर पहलू में
सावित्री ज्योती जैसा वरदान
मिला पुरे नारी जीवन मे
कवयित्री रंजना भैसारे
नागपूर

